आज हम आपको इस आर्टिकल में Anupras Alankar Ki Paribhasha | Anupras Alankar Ke Udaharan बताने वाले है अगर आपको भी Anupras Alankar Ki Paribhasha | Anupras Alankar Ke Udaharan नहीं पता है तो आप हमारा ये आर्टिकल पढ़ सकते है क्योकि आज इस आर्टिकल में हम Anupras Alankar Ki Paribhasha | Anupras Alankar Ke Udaharan के बारे में बात करने वाले है।
Anupras alankar
अनुप्रास शब्द दो शब्दों से जुड़कर बना है= अनु + प्रास।
यहाँ पर अनु का मतलब है- बार-बार और प्रास का मतलब है – वर्ण। जब कोई वर्ण बार – बार आता है तो तब जो चमत्कार होता है उसे अनुप्रास अलंकार बोलते है।
अनुप्रास अलंकार की परिभाषा
अनुप्रास एक व्यंजन अक्षर की आवृत्ति है। आवृति का मतलब होता है दोहराना जैसे- ‘तरणी-तनुजा तट तमाल तरुवर बहू छाये।’ उपरोक्त उदाहरणों में ‘त’ अक्षर की सतत आवृत्ति है, इस कारण इसमें अनुप्रास है।
अनुप्रास अलंकार है जो एक ही वर्ण के दो या दो से अधिक शब्दों को जोड़ने में प्रगति लाता है। इस अलंकार में दो शब्दांशों का दो शब्दों में या एक ही शब्द के भीतर आच्छादन होने के कारण उनमें जो ध्वनियाँ होती हैं, उनमें समानता उत्पन्न होती है। इस आकृति के प्रयोग से शब्दों का ध्वनि संयोजन अधिक मधुर होता है जो सुनने वाले को अपनी ओर आकर्षित करता है।
अनुप्रास अलंकार के भेद
- लाटानुप्रास अलंकार
- अन्त्यानुप्रास अलंकार
- छेकानुप्रास अलंकार
- श्रुत्यानुप्रास अलंकार
- वृत्यानुप्रास अलंकार
- लाटानुप्रास अलंकार
लैट शब्द एक समूह को संदर्भित करता है। इसलिए, जहाँ एक अर्थ और एक शब्द की आवृत्ति होती है, वहाँ एक लैटिन अनुप्रास होता है।
उदाहरण – पूत सपूत तो का धन संचय।
पूत कपूत तो का धन संचय।।
- अन्त्यानुप्रास अलंकार
जहाँ पंक्तियों या पदों के अंत में एक ही वर्ण होता है, वहाँ अनुप्रास होता है।
उदाहरण – रघुपति राघव राजा राम।
पतित पावन सीता राम ।।
- छेकानुप्रास अलंकार
जब एक से अधिक वर्णों की आवृत्ति होती है, तो अनुप्रास होता है।
उदाहरण – बुझत स्याम कौन तू गोरी।
कहाँ रहत काकी है बेटी।।
- श्रुत्यानुप्रास अलंकार
जहाँ पंक्तियों या पदों के अंत में एक ही वर्ण होता है, वहाँ अनुप्रास होता है।
उदाहरण – रघुपति राघव राजा राम।
पतित पावन सीता राम ।।
- वृत्यानुप्रास अलंकार
जहाँ एक अक्षर की कई बार पुनरावृत्ति होती है वहाँ अनुप्रास अलंकार होता है।
उदाहरण :- मुदित महीपति मंदिर आये।
सेवक सचिव सुमंत बुलाये। ।
अनुप्रास अलंकार के उदाहरण
उदाहरण 1. रघुपति राघव राजाराम। पतित पावन सीताराम ।।
उदाहरण 2. मुदित महीपति मंदिर आए।
सेवक सचिव सुमंत बुलाए।
उदाहरण 5. सेस महेस दिनेस सुरेसहु जाहि निरंतर गावै।
उदाहरण 7. प्रतिभट कटक कटीले केते काटि-काटि
कालिका-सी किलकि कलेऊ देत काल को।
उदाहरण 8. बंदऊँ गुरुपद पदुम परागा।
सुरुचि सुवास सरस अनुरागा।
निष्कर्ष
आज हमने आपको बताया की Anupras Alankar Ki Paribhasha Aur Anupras Alankar Ke Udaharan क्या होते है, हमे उम्मीद है आपको आपकी जानकारी मिल गयी होगी।