आपने केदारनाथ जाने का कभी ना कभी ख्याल तो आया होगा पर बहुत लोग तो यह भी नहीं जानते है केदारनाथ मंदिर में शिवलिंग नहीं ज्योतिलिंग है, कैसे पता चलता है की ज्योतिलिंग और शिवलिंग में अंतर और 12 ज्योतिर्लिंग कहां कहां है, इस आर्टिकल में हम यही जानेगे की 12 ज्योतिर्लिंग कहां कहां है, पूरी जानकारी के लिए पूरा पढ़े।
ज्योतिर्लिंग का अर्थ क्या है?
भगवान शिव के ज्योतिर्लिंग का ही नाम ज्योति पिंड से पड़ा था। पुराणों की माने ,ज्योतिर्लिंग यानी ‘व्यापक ब्रह्मात्मलिंग’ जिसका अर्थ है ‘व्यापक प्रकाश’। शिवलिंग के 12 खंड में से हैं। शिवपुराण में वर्णित है कि ब्रह्म, माया, जीव, मन, बुद्धि, चित्त, अहंकार, आकाश, वायु, अग्नि, जल और पृथ्वी को ज्योतिर्लिंग या ज्योति पिंड कहा जाता है। इसके अलावा हमारे ग्रथ और पुराण के अनुसार जहाँ-जहाँ भगवान शिवजी स्वयं प्रगट हुए उन स्थानों पर स्थित शिवलिंगों को ज्योतिर्लिंगों के रूप में पूजा जाता है।
ज्योतिर्लिंग और शिवलिंग में क्या अंतर है?
क्या आप ज्योतिर्लिंग और शिवलिंग में अंतर क्या आप जानते हो? शिवपुराण में वर्णित कथा के अनुसार, एक बार ब्रह्म देव और विष्णु भगवान में इस बात को लेकर विवाद हुआ था कि उन दोनों में श्रेष्ठ कौन है, तब दोनों देवों के भ्रम का अंत करने के लिए भगवान शिव एक महान ज्योति स्तंभ के रूप में प्रकट हुए, ब्रम्हा जी और विष्णु जी दोनो ही उस स्तंभ के आरंभ और अंत नहीं जान सके। इसी को ज्योतिर्लिंग कहा जाता है। वही पर शिवलिंग का अर्थ सृष्टि के निर्माण का प्रतिक है।
- सोमनाथ ज्योतिर्लिंग (गुजरात)
श्री सोमनाथ इन 12 पवित्र ज्योतिर्लिंगों में से पहला जोतिलिंग माना जाता है। ऋग्वेद के अनुसार सर्वप्रथम इसका निर्माण चंद्रदेव ने करवाया था और ऐसा कहा जाता है कि सोमनाथ मंदिर को चंद्र देव ने सोने से, सूर्य देव ने चांदी से और भगवान श्री कृष्ण ने लकड़ी से बनवाया था। भगवान श्री कृष्ण ने यहीं से भालुका तीर्थ में देह त्यागकर वैकुंठ गमन किया था। इसके साथ ही यहाँ त्रिवेणी स्नान का विशेष महत्व है। यहां पर तीन पवित्र नदियों जो हिरण,कपिला और सरस्वती का महासंगम होता है।
- मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग (आंध्र प्रदेश)
मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग 12 पवित्र ज्योतिर्लिंगों में दूसरे स्थान पे मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग आता है। यह आन्ध्र प्रदेश में कृष्णा नदी के तट पर श्रीशैल नाम के पर्वत पर मौजूद है। इसे दक्षिण का कैलाश पर्वत भी कहा जाता है। महाभारत के अनुसार श्रीशैल पर्वत पर भगवान शिव का पूजन करने से अश्वमेध यज्ञ करने के फल प्राप्त होता है। माता पार्वती का ‘मल्लिका’ और भगवान शिव को ‘अर्जुन’ कहा जाता है। इस प्रकार सम्मिलित रूप से वे श्रीमल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग के नाम से यहाँ इस जगह का नाम पड़ा।
- महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग (मध्य प्रदेश)
भगवान शिव मध्य प्रदेश राज्य के अत्यंत पुराने शहर उज्जैन में महाकालेश्वर के रूप में जाना जाता है। यहाँ भगवान महाकाल को उज्जैन का राजा माना जाता है। यहाँ पे भस्म आरती विश्व यहाँ पे बहुत प्रसिद्ध है। क्षिप्रा नदी के किनारे बसे उज्जैन में ही सिंहस्थ महाकुंभ के मेले का आयोजन होता है। यहाँ गुरु सांदीपनी के आश्रम में भगवान श्री कृष्ण व बलराम विद्या प्राप्त करने हेतु आये थे।
- ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग (मध्य प्रदेश)
ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग मध्य प्रदेश के खंडवा जिले में माँ नर्मदा नदी के तट पर, मन्धाता नाम के एक आइलैंड पर स्थित है। यहाँ माँ नर्मदा ॐ के आकार में है, इसलिए इसे ओंकारेश्वर नाम से भी जाना जाता है। यह भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक ज्योतिर्लिंग है, जो चौथे स्थान पर आता है। यह अन्य ज्योतिर्लिंगों से इसलिए अलग है क्योंकि इस मंदिर में भगवान शंकर के दो रूप में विराजमान होते हैं, एक ओंकारेश्वर और दूसरे ममलेश्वर। दो ज्योतिर्लिंग के रूप में होने पर भी ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग को एक ही गिना जाता है।
- केदारनाथ ज्योतिर्लिंग (उत्तराखंड)
उत्तरांचल राज्य में हिमालय की घाटियों में केदारनाथ स्थित केदारेश्वर ज्योतिर्लिंग भगवान शिव के 12 प्रमुख ज्योतिर्लिंगों में एक और चार धामों में से एक और पंच केदार में से एक है। केदारनाथ भारत में सबसे लोग प्रिये मंदिर है, बहुत ही ज्यादा ठण्ड और बर्फबारी के कारण यह मंदिर साल में केवल 6 महीने अप्रैल से नवंबर माह तक ही खुल रहता है। मन्दिर के गर्भ गृह में भगवान केदारनाथ का महत्पूर्ण ज्योतिर्लिंग है। और बाहर नंदी भगवान विराजमान है।
- भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग (महाराष्ट्र)
महाराष्ट्र में स्थित तीन ज्योतिर्लिंग में से एक भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग पुणे से लगभग 115 किलोमीटर की दूरी सहाद्रि नामक पर्वत की वादियों से घिरा हुआ है। यह भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग भगवान शंकर के 12 दर्शनीय ज्योतिर्लिंगों में छटे स्थान पर है। भीमा नदी के उद्गम स्थल पर शिराधन गांव में स्थित इस मंदिर का शिवलिंग मोटा होने के कारण यह मोटेश्वर महादेव के नाम से भी जाना जाता है। भीमेश्वर ज्योतिर्लिंग कामकारी हैक्योकि इसके दर्शन का फल सभी मनोकामनाए पूर्ण करता है। मराठा राज्य के महाराज छत्रपति शिवाजी भी यहाँ कई बार पूजन करने आते थे।
- बाबा विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग (उत्तर प्रदेश)
विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग सातवा ज्योतिर्लिंग है, जो उत्तरप्रदेश के वाराणसी जनपद के काशी जिले में स्थित है। जो भगवान शिव के त्रिशूल पर विराजती है, उसे विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग दो भागों में विभाजित करते है। ज्योतिर्लिंग के दायें भाग में माँ पार्वती और बाएं भाग में भगवान भोलेनाथ सुन्दर रूप में विराजमान है। गंगा नदी के किनारे बसे काशी को मुक्ति का धाम कहा गया है।
- त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग (महाराष्ट्र)
नासिक, महाराष्ट्रीयन जिले में, त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग पंचवटी से लगभग 18 मील की दूरी पर गोदावरी नदी के तट पर स्थित है। बेहद पुराने त्र्यंबकेश्वर मंदिर में एक छोटे से गड्ढे में तीन छोटे शिवलिंग हैं। इन शिवलिंगों के तीन नाम ब्रह्मा, विष्णु और शिव से भी जाना जाता हैं। यह शिवलिंग कुढ़ ही विकसित हुआ है, जो दर्शाता है कि इसे किसी ने नहीं बनाया है। भगवान शिव अब यहां गौतम ऋषि और गोदावरी नदी की प्रार्थना के कारण त्र्यंबकेश्वर के रूप में निवास करते हैं।
- वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग (झारखंड)
ज्योतिर्लिंग नौ झारखंड के देवघर में, श्री वैद्यनाथ को समर्पित एक मंदिर है। बैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग की उपस्थिति के कारण, इस स्थान को “देवघर” भी कहा जाता है, जिसका अर्थ है देवताओं का निवास। क्युकी बैद्यनाथधाम वह स्थान है जहां माता सती का हृदय टूटा था, इसलिए यह स्थान एक शक्तिपीठ भी है। क्योंकि वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग में भोलेनाथ आने वाले हर भक्त की मनोकामना पूरी करते हैं, इस ज्योतिर्लिंग को “कामना लिंग” भी माना जाता है।
- नागेश्वर ज्योतिर्लिंग (गुजरात)
गुजरात के जामनगर जिले में, द्वारका धाम से लगभग 18 मील की दूरी पर, जहाँ नागेश्वर ज्योतिर्लिंग का निर्माण किया गया था। भगवान महादेव के 12 ज्योतिर्लिंगों में नागेश्वर ज्योतिर्लिंग का दसवां स्थान है। यह ज्योतिर्लिंग अपने वैभव में अद्वितीय है। भगवान शिव का रुद्राभिषेक यहां श्री द्वारकाधीश द्वारा किया जाता था। नागों के देवता, जिन्हें नागेश्वर के नाम से भी जाना जाता है, भगवान शिव को दिए गए अनगिनत नामों में से एक हैं। इस वजह से, माता पार्वती और भगवान शिव को क्रमशः “नागेश्वर” और “नागेश्वरी” कहा जाता है।
- रामेश्वरम् ज्योतिर्लिंग (तमिलनाडु)
भगवान शंकर के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक रामेश्वरम ज्योतिर्लिंग तमिलनाडु के रामनाथपुरम जिले में स्थित है। स्थान को भगवान राम के सम्मान में रामेश्वरम नाम दिया गया क्योंकि रामेश्वर का अर्थ है “भगवान राम।” शिवलिंग रामेश्वर आपका ठेठ शिवलिंग नहीं है। सीता माता ने अपने हाथों से इसे बनाया था। इस शिवलिंग का निर्माण भगवान श्री रामचंद्र जी ने किया था, जिन्होंने इसकी पूजा भी की थी।
- घुश्मेश्वर ज्योतिर्लिंग (महाराष्ट्र)
महाराष्ट्र में, घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग दौलताबाद और औरंगाबाद के करीब पाया जा सकता है। इसके अन्य नामों में घृष्णेश्वर और घुश्मेश्वर शामिल हैं। भगवान शिव के बारह ज्योतिर्लिंगों में से यह अंतिम ज्योतिलिंग है। शिव भक्त घुश्मा की भक्ति के फलस्वरूप भगवान शिव घुश्मेश्वर महादेव के नाम से इस क्षेत्र में विख्यात हुए। यह मंदिर प्रसिद्ध एलोरा की गुफाओं के करीब है, जो यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थल का एक हिस्सा हैं।
निष्कर्ष
आज के इस आर्टिकल के माध्यम से हमने यह जाना की ज्योतिर्लिंग का अर्थ क्या है, ज्योतिर्लिंग और शिवलिंग में क्या अंतर है, 12 ज्योतिर्लिंग कहां कहां है जैसे की सोमनाथ ज्योतिर्लिंग जो गुजरात में है, भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग जो महाराष्ट्र मे हैं। हम आशा करते है की यह आर्टिकल आपको पसंद आया होगा।